✤┈SuNo ┤_★_🦋
ये सलीक़ा नहीं तेरी दुनिया का हम
पे इल्ज़ाम लगाते हो क्या..?
हम तो 'गुमनाम' ही अच्छे हैं, तुम
अपना नाम बताते हो क्या..?
ज़ुबाँ पे ताले आँखों में शोले, दिल
में आग दबाए बैठे हैं,
हमें आज़माने की सोचते हो अपनी
हस्ती मिटाते हो क्या..?
हर महफ़िल से उठ जाते हैं, अपनी
धुन में रहते हैं मगन,
ग़ैरों की सुन कर चाल चलते हो अपनी
राह से भटकते हो क्या..?
टूटे दिल का हर टुकड़ा, अक्स-ए-ग़ुरूर
दिखाता है,
तुम काँच के टुकड़े उठाते हो, अपना
दामन जलाते हो क्या..?
ये शहर-ए-फ़ानी, ये रस्में पुरानी, सब
मिट्टी हो जाएंगी 'गुमनाम',
तुम अब भी ज़मीर बेचते हो, दौलत
पे ईमान लुटाते हो क्या..🔥?
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♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh °☜
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