“वो दिल ही क्या
तिरे मिलने की
जो दुआ न करे”
वो दिल ही क्या
तिरे मिलने की
जो दुआ न करे
मैं तुझ को भूल के
ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे
रहेगा साथ तिरा प्यार
ज़िंदगी बन कर
ये और बात मिरी
ज़िंदगी वफ़ा न करे
ये ठीक है नहीं
मरता कोई जुदाई में
ख़ुदा किसी को
किसी से मगर
जुदा न करे
सुना है उस को मोहब्बत
दुआएँ देती है
जो दिल पे चोट तो खाए
मगर गिला न करे
अगर वफ़ा पे भरोसा रहे
न दुनिया को
तो कोई शख़्स मोहब्बत का हौसला न करे
बुझा दिया है नसीबों ने
मेरे प्यार का चाँद
कोई दिया मिरी पलकों पे
अब जला न करे
ज़माना देख चुका है
परख चुका है इसे
'क़तील' जान से जाए
पर इल्तिजा न करे”
💕
- Umakant