- : फुहार :-
मदमस्त घन, मदमस्त वन
मदमस्त है कुलकामिनी
मोर संग ज्यों मोरनी
मदमस्त द्रृग मैं बलिहारी
सघन केस में गुत्थी वारि
आवाज मीठे मोर स्वर सा
मन तो हर ले मोहिनी
वह मोर सी न्रृत्यांगनी.
कोयले प्रतिध्वनि सुनाये
छेंड़ती जब रागिनी
मदमस्त संग मन में उमंग
मदहोश कर मन स्वामिनी
ऐ स्वप्न सी शशि भामिनि
नील नभ की चांदनी...