मैं यह कविता उन बेगुनाहों को समर्पित करता हूँ
जो आज पहलगांव, कश्मीर में आतंकी हमले का शिकार हुए।
धर्म पूछकर मारने वाले भूल जाते हैं —
आतंकी का कोई धर्म नहीं होता, वो सिर्फ इंसानियत का दुश्मन होता है।
⚠️ लानत है तुम पर ⚠️
निहत्थों पर चलाई गोली,
कायरता की है ये मिसाल 😡
धर्म के नाम पर बहाया लहू,
इंसानियत हुई है बेहाल 🩸
शूरवीर नहीं, तुम कातिल हो,
तुम अपनी कौम के हो गद्दार ⚔️
पहलगांव की चीखें दे रही,
तुम पर लानत बारंबार 🔥
बुध्दजिलों, बहुत दिन नहीं चलेगा तुम्हारा जश्न,
जल्द ही तैयार है तुम्हारा भी कफ़न ⚰️
अब बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी,
अब तुम्हारी भी बारी जल्द ही आएगी ⏳
~सुमित जोशी
🙏अंश्रु पूर्ण श्रद्धांजलि 🙏