“छोड़ दे सारी दुनिया किसी के लिए”
कहाँ चला ऐ मेरे जोगी
जीवन से तू भाग के
किसी एक दिल के कारण
यूँ सारी दुनिया त्याग के
छोड़ दे सारी दुनिया
किसी के लिए
ये मुनासिब नहीं
आदमी के लिए
प्यार से भी ज़रूरी
कई काम हैं
प्यार सब कुछ नहीं
ज़िंदगी के लिए
छोड़ दे सारी दुनिया
किसी के लिए
तन से तन का
मिलन हो न पाया
तो क्या
मन से मन का
मिलन कोई कम
तो नही
मन से मन का
मिलन कोई
कम तो नही
खुशबू आती रहे
दूर से ही सही
सामने हो चमन
कोई कम तो नहीं
सामने हो चमन
कोई कम तो नहीं
- Umakant