"रुकना नहीं है"
चलते रहो, थक जाओ तो थोड़ा रुक कर फिर चलो,
हर मोड़ पे मिलेंगे कांटे, मगर मंज़िल भी वहीं है जहाँ तुम चलो।
रात जितनी गहरी होगी, सुबह उतनी पास होगी,
जो डर के बैठ जाए, उसकी हर आस खो जाएगी।
हौसला रख, गिरकर भी उठने का इरादा रख,
हर हार के बाद एक नई जीत का वादा रख।
लोग क्या कहेंगे, ये सोच-सोच मत हार मान,
तेरी उड़ान तुझसे है, न कि किसी और के बयान।
हर दिन एक नई कहानी लिख, अपने नाम की,
मंज़िल खुद कहेगी – चल, अब तेरी बारी है।