"अधूरी राहे "
तू तो नजरें चुराती रही,
पर जानती थी हर बात मेरी।
तेरी खामोशी कहती रही, तुझमें भी थी कुछ बातें मेरी।
तू दोस्ती का नाम देती रही,
मैं इश्क़ का साज बजाता रहा।
तू मुझे अनदेखा करती रही,
मैं तेरा नाम दोहराता रहा...
प्यार ना करना तेरा फैसला था,
उम्र और जात का बंधन तेरे लिए बड़ा था।
क़िस्मत के आगे मजबूर था मैं,
दिल से जुदा था, पर पास खड़ा था मै।
(सहगान)
तू किस्मत की लकीरों में नहीं थी,
पर मेरे ख्वाबों में सजी रही।
तू राहों से दूर निकल गई,
पर धड़कनों में बसी रही...
(अंतरा 3)
काश मेरे हाथ की रेखा में तेरा नाम होता,
तो ये जीवन कुछ और हसीं होता।
तेरी हँसी के साए में चलते,
हर ग़म को हम यूँ ही सहते।
(सहगान)
आज भी खुश हूँ, पर तेरा साथ होता,
तो ज़िंदगी का रंग कुछ और होता।
तेरी हँसी मेरी पहचान होती,
तो ये सफर कुछ आसान होता...
(अंतरा 4)
अब भी कभी तुझे ख्याल आता होगा,
या तू भी कहीं मुस्कुरा जाती होगी।
जो था अधूरा, वो ख्वाब ही सही,
पर तू भी कहीं तो यादों में आती होगी...
(सहगान)
तू दोस्ती का नाम देती रही,
मैं इश्क़ का साज बजाता रहा।
तू मुझे अनदेखा करती रही,
मैं तेरा नाम दोहराता रहा...
---
कैसा लगा? कोई बदलाव चाहिए?