ठीक कहा तुमने मैं कमाती नहीं हूं
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ठीक कहा तुमने मैं कमाती नहीं हूं
पर गौर नहीं किया तुमने
मैं कितना बचाती रहीं हूं.....
दिन का चैन , रातों की नींद
सब खर्च कर देती तुम पर
कीमत क्या है इसकी
कभी बताती नही हूं ......
ठीक कहा तुमने मैं कमाती नही हूं
बची दाल सब्जी
हटाते तुम थाली से
उसे प्रसाद मान
नाली में कभी गिराती नही हूं.....
कभी घर की साज सज्जा
कभी राशन ,कभी सब्जी
सब काम मैं करती
कभी कामवाली लगाती नहीं हूं ....
ठीक कहा तुमने मैं कमाती नही हूं
पर जिस दिन मैं भी घर से
कमाने निकल जाऊंगी
मेरे काम की कीमत
उस दिन तुम्हे समझाऊंगी ....
ना समय पर खाना मिलेगा
ना मैले कपड़े धुलेंगे
ऑफिस से आओगे तो
बच्चे भी भूखे मिलेंगे .....
ना कपड़ों पर इस्त्री होगी
ना होगी घर में सफाई
तब समझ आयेगी
मेरी असली कमाई ....
देखकर घर के हालात
दिमाग गर्म हो जायेगा
जब खुद करना पड़ेगा
तब सब समझ आयेगा
यह बात सच है तुम्हारी
घर चलाने को मर्द कमाते है
पर यह भी तो सच है,,,
वे भी एक औरत के साथ
मिलकर ही घर बसाते है...🙏