सरहद से चिट्ठी आई है
सरहद से चिट्ठी आई है
नापाक इरादे हैं जिनके
उनको सबक सिखाना है
जहां फूले दहशत की बाड़ी
जड़ से उसे मिटाना है
अब उनकी शामत आई है
सरहद से चिट्ठी आई है
कश्मीर भी हमारा है
जागीर भी हमारा है
वादियों में जन्नत की
तस्वीर भी हमारा है
सौगंध हमने उठायी है
सरहद से चिट्ठी आई है
नींद नहीं आती है
चैन चली जाती है
गोली चलाए बिन
रोटी नहीं सुहाती है
ये मां ने सीखायी है
सरहद से चिट्ठी आई है
सरहद में मुझे जाना है
दुश्मन को मार गिराना है
चाहे रहे सैकड़ों वे
अकेले ही भीड़ जाना है
मेरे बाद मेरा भाई है
सरहद से चिट्ठी आई है
लगे मखमली आंगन, मुझे
मिट्टी रेगिस्तान की
हम न रहें, सदा रहेगी
जीत हिंदूस्तान की
ये ज्ञान पुरखों से पायी है
सरहद से चिट्ठी आई है।
सौजन्य:- मनोज कुमार
🙏🏻
- Umakant