ख़ुद को इतना दुनिया-दार नहीं कर सकते
आधे दिल से पूरा प्यार नहीं कर सकते
रिश्ते तोड़े मल्लाहों से नाव जला दी
अब हम दोनों दरिया पार नहीं कर सकते
जितना शोर मचाते हैं ये झूठे 'आशिक़
उतना तो सच्चे बीमार नहीं कर सकते
वैसे तो मशहूर है अपनी हिम्मत लेकिन
आईने से आँखें चार नहीं कर सकते
ये भी इक तरकीब है दुश्मन से लड़ने की
गले लगा लो जिस पर वार नहीं कर सकते
तेरी गली में कब आए थे याद नहीं है
वैसे हम इक दिन बेकार नहीं कर सकते
🙏🏻
- Umakant