मुझ से बिछड़ के खुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झुटे हो
इक दिवार पे चाँद टिका था
मैं ये समजा तुम बैठे हो
उजले उजले फ़ुल खिले थे
बिलकुल जैसे तुम हँसते हो
मुझ को शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने है
दिल का हाल पढ़ा चेहरे से
साहिल से लहरें गिनते हो
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो
बशीर बद्र
❤️
- Umakant