“ तूँ करता तूँ भया,
मुझ मैं रही न हूँ।
वारी फेरी बलि गई,
जित देखौं तित तूँ ॥
जीवात्मा कह रही है कि ‘तू है’ ‘तू है’ कहते−कहते मेरा अहंकार समाप्त हो गया। इस तरह भगवान पर न्यौछावर होते−होते मैं पूर्णतया समर्पित हो गई। अब तो जिधर देखती हूँ उधर तू ही दिखाई देता है।
…..संत कबीर 🙏🏻
- Umakant