जब जब लगा हैं जानने लगा हू तुमको, तुम एक नई पहेली बन कर सामने आ जाती हो
कोन हो तुम ?
क्या तुम वो ख्वाव हो जिसे मैंने खुली आँखों से
देखा है ?
या तुम वो हकीकत हो, जिसे मैं नींद में भी देखना चाहता हु ?
क्या तुम वो कहानी हो, जिसे हर कोई पढ़ना चाहता है ?
या तुम वो रहस्य हो, जिसे आज भी कोई नहीं ढूंढ पाया है ?
क्या तुम वो गीत हो, जिसे हर कोई गुनगुनाना चाहता है ?
या तुम वो खामोश हो ,जिसे आज भी कोई नहीं सुन पाया है ?
By rajshree chouhan