जन्मदिन के तोहफे में,
आल्ताफ ने अपनी बेगम के लिए कई चीजें खरीदीं- झुमके, दुपट्टा, और उनकी पसंदीदा चूड़ियाँ। बेगम हर एक चीज़ को बड़े प्यार से निहार रही थीं, तभी आल्ताफ की नजर काजल की डिबिया पर गई।
हंसते हुए आल्ताफ बोले, "अरे बेगम, माफ कीजिए, यह फिर गलती से ले आया। मुझे याद ही नहीं रहा कि आपको काजल से एलर्जी है।"
बेगम ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, "कोई बात नहीं, दीजिए, मैं इसे संभालकर रख ब लेती हूँ।" ।" उन्होंने काजल की डिबिया को हाथ में लिया और फिर अलमारी में रखे उस पुराने संदूक में रखने लगीं, जहाँ पहले से कई अनछुई काजल की डिब्बियों और पेंसिलें पड़ी थीं।
उस संदूक में एक पुरानी अख़बार की कटिंग भी रखी थी, जिस पर लिखा थाः
"किसी ने हुस्न को चाहा, किसी ने गोरे तन को, पर उसने पसंद कीं काजल वाली आँखें। अब न वो दिन रहे, न वैसे हम रहे, और न रहीं वो काजल वाली आँखें।"