तू लाख मना कर, फिर भी मैं वहीं रुक जाऊँगा.. करले तू यदि दगा कभी, फिर भी मैं केवल वफा निभाऊंगा.. खुद गलत होके भी गिना ले तू मेरी कितनी भी गलतियां, फिर भी हर बार मैं तुझे ही मनाऊंगा..
तोड़ दे मेरी हर रोज तू हिम्मत, फिर भी उसी हिम्मत से डट कर खड़ा हो जाऊँगा.. बना ले तू जाने के कितने भी बहाने, फिर भी मेरे रुकने का कोई एक बहाना तो ढूंढ ही लाऊंगा.. वचन है तुझसे अपनी आखिरी कोशिश तक, उसी जज़्बे से यह रिश्ता अकेले निभाऊंगा..
मंजूर हो ख़ुदा को यदि, तो एक दिन सबके बीच- तू मेरी और मै तेरा कहलाऊंगा.. फिर भी ना साथ दे यदि तकदीर, और ना कबूल करे मुझे तू, तो अपनी किस्मत का लिखा हुआ थोड़ा प्यार किसी और से पाऊँगा लेकिन तेरी खुशहाल भरी जिंदगी के उन दो-चार दुख भरे दिनों में अपने प्यार की याद मुस्कराहट के साथ हर बार तेरे दिल को याद दिलाऊंगा..
मंजिल तक चाहे अकेले पहुंचू या हो तेरा साथ, लेकिन वादा है तुझसे - इस मोहब्बत को उसके अंतिम अंजाम तक हस्ता हुआ पहुंचाऊंगा