मुझपर क्या बीतेगी किसको हाल सुनाऊंगी
क्या कहूं गर तू गया तो कैसी चोट खाऊँगी
मैं तुम से जब आखिरी दफे मिलने आऊंगी
पत्थर हूं पहले से ही और पत्थर हो जाऊंगी
तू अगर मुंह मोड़ेगा मुझे बीच रास्ते छोड़ेगा
मैं कुछ नही कहूँगी बस वापस लौट आऊंगी
तू खुश हैं गर मुझसे दूर जा कर तो चला जा
मैं वो नहीं कि तुझको बेवजह का रुलाऊंगी
देख कहीं चले नजाना मेरा तू साथ निभाना
गर चला गया जो तू फिर ना तुझे बुलाऊंगी !!