युही कभी सोचती हूँ
तेरे बारे में
और खुद से सवाल करती हूँ
एक वक़्त ही तो माँगा था आपसे
शायद वो भी मेरे लिए नहीं था
बातो का हुनर तो आपमें बहुत हैँ
मुझे समझने में देर होगयी
क्या करूँ
हर बात मुझे जताना नहीं आता
दिल दुखता हैँ रोती भी हूँ
पर आपके सामने आंशू बहाना नहीं आता
- SARWAT FATMI