अनुराग है तो कहीं बैर भी
लगाव है तो कहीं देते घाव भी
मनोरंजन है तो मनोभंजन भी
मिलन है तो कहीं बिछोह भी
शब्दों पर लगाम है तो नेकी भी
बेलगाम है तो कर जाते बदी भी
विपदा में बन जाते संबल हैं
तो कभी कर देते असहाय भी
इसलिए जब भी बोलो ......
पहले तोलो फिर बोलो
- उषा जरवाल