कुछ बुंदे मेरे चेहरे पर गिरी
लगा तुम आओगे
पर ये इंतज़ार् भी ख़तम नहीं होती
सोचा पास आओगे ,बैठोगे कुछ पल् मेरे साथ
पर उमीद भी किस्से कर बैठी?
- SARWAT FATMI

Hindi Shayri by SARWAT FATMI : 111949507
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