उन्हें लगता है हम उन्हे याद नहीं करते
पर उन्हें क्या पता उनकी मुस्कान के लिए
हर रोज खुदा से दुआ फ़रियाद करते हैं.....
हां मैं थोड़ी सी नादान और नासमझ हूं
पर समझदार तो वो भी नहीं लगते .......
नाराज़गी जाहिर इस तरह से करते
जैसे हम उनसे अंजान है रहते .......
अब शिकायत किससे करूं उनकी
परेशान इतना करते आंखों को आ जाता है रोना .....
उनकी तकलीफों से वाकिफ जो हूं
शायद इसीलिए फिक्र हर बार है होता .....
मुस्कुराते तो कम ही और कहते मैं खुश बहुत हूं
सब से ज्यादा खुद को भ्रम में है रखते ......
अब मान भी जाओ क्यों परेशान कर रहे इतना?
कुछ गलती नजर आए तो मुझे माफ कर देना
मैं रहूं या न रहूं बस अपना ख्याल रखना.....
Manshi K