नम है आखें...
धूप भी खिल गईं हैं
आसू सूखने डाल दू
फिर कब बादल घिर आए फिर कब आखें बरसने लगे
चाहो तो सब कुछ हो सकता है
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो हम मिल सकते हैं
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो हम एक हो सकते हैं
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो इंतजार कराओ
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो प्यार कर लो
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो हम सब कुछ है
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो मेरा तेरा दर्द बाट लू
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो हमे कोई जुदा नही कर सकता
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो ये दुनिया ये रस्मो रिवाज कुछ नहीं
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो ना नही तो हा
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो में सिर्फ तुम्हारा हु
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो आखरी तक साथ होगा हमारा
नही तो कुछ नहीं
चाहो तो मौत ही जुदा कर सकती है हमे
नही तो कुछ नहीं
कुछ भी नहीं कुछ भी नहीं