मे मै न रही भूली सब
न राधा बनी न मीरा मे तो कृष्ण मई हो गई
राधे राधे...!!!
भूल कर सारा जहा
कदम्भ के छाव तले कुछ जागी कुछ साई सी
कलंडी तीरे
मनमोहन की मानो जादुई बंसी बजी
सुन कर सुध बुध खोई
सुनो वो सखी
कैसा अद्भुत ये प्रेम
रोम रोम में बसा
सतरंगी रंगो में रंग विभोर कर गया
अनमोल प्यार की बारिश मे भीग
तन चंदन और मन वृंदावन हो गया