सपनों का शहर
रात के साये में बसी,
सपनों की ये दुनिया,
हर ख्वाब में छुपा है,
उदासी का रंग गहरा।
चाँदनी की चुप्पी में,
दिल की धड़कन बेताब,
सच्चाइयों की राह पर,
लिखा है बस ग़म का हिसाब
हर उम्मीद बिखर जाती,
रात की सन्नाटे में,
रूठे थे जब हम जिनसे,
सपने भी उन ख्वाबों में
सपनों का शहर उजड़ा,
फूलों का रंग भी पिघला,
दिल के वीराने में अब,
सिर्फ एक ग़म की रेखा ही मिला.....