प्रेरणादायक कविता

तुम किस बात से डर रहे हो,
चलते चलते तुम क्यों हर बार ठहर रहे हो,
जोखिम तो सब उठाते हैं,
पाने को मंजिल अपना.

तुम किस बात से डर रहे हो,
संघर्षों से भरी पड़ी होती है सबकी जिन्दगी,
फिर तुम क्यों बिना संघर्ष के,
जीवन की कल्पना कर रहे हो..।

तुम किस बात से डर रहे हो,
जो डरकर लहरों से तूने,
रोक दिया मौका अपना,
फिर तुम कैसे करोगे खुद का पूरा सपना..!!

तुम किस बात से डर रहे हो,
देख लहरे आएगी जायेगी,
तुझे विचलित करने के लिए,
उसका भयानक रूप को देखकर तू ना डरना...।

तुम किस बात से डर रहे हो,
राहे तो उनके भी मुश्किल थे,
जो जमीन से चांद पर पहुंचे थे,
परंतु पाकर उन मुश्किलों को उन्होंने, पृथ्वी को भी छू दिया!!!

तुम किस बात से डर रहे हो,
तेरे पीछे खाई आगे कुंआ है,
लेकिन बहुतो ने बीच से निकलकर,
आसमान को भी छू दिया..!!

तुम किस बात से डर रहे हो,
बनाने को परिंदा भी अपनी आशियां,
हर रोज संघर्ष कर रही हो,
जोखिम तो सब उठाते हैं, पाने को मंजिल अपना..।

तुम किस बात से डर रहे हो,
चार दिनों की मेहनत कर,
तुम क्यों ठहर रहे हो,
वक्त लगता है बीज को फसल उगाने में..!!!

कल्पना कुमारी

Hindi Poem by Kalpana Kumari : 111943397
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