कोई हम-दम न रहा कोई सहारा न रहा
हम किसी के न रहे कोई हमारा न रहा

शाम तन्हाई की है आएगी मंज़िल कैसे
जो मुझे राह दिखा दे वही तारा न रहा

ऐ नज़ारो न हंसो मिल न सकूंगा तुम से
तुम मेरे हो न सके मैं भी तुम्हारा न रहा

क्या बताऊं मैं कहां यूंही चला जाता हूं
जो मुझे फिर से बुला ले वो इशारा न रहा।

गायक किशोर कुमार
रचना मजरुह सुलतानपुरी

Hindi Poem by Dr. Bhairavsinh Raol : 111939088
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