पहाड़ों के दामन में भी
सुंदरता का खजाना है
ये उभर आया अपनी मर्जी से
कही पर...प्रकृति की गोद में बैठा चंचल बालक सा
तो कही पर...हरी चुनरिया लहराते हुए
इंतजार करता युवक सा
कही पर...चट्टानों से खड़ा जैसे योगी की मुद्रा
तो कही पर...पहेना है आभूषण नदिया
की धारा का
हरियाली चद्दर लपेटकर
कहता है अपना दामन फैलाए...
धूप आए चाहे बारिश घुलमिल जाओ उसी के
आवरण में....
देता है संदेश... चाहे कैसी भी उलझने आये रहना है अडिग
-Shree...Ripal Vyas