People asking the books which are written with hand and with different objects,ईश्वर कृपा से बहुत जगह मैं अपना संग्रह दिखा चुका हूँ और हर जगह मुझे बहुत बढ़िया रिस्पांस मिला कुछ मैं यहाँ आप लोगो के साथ साझा कर रहा हूँ,मेरट में क़रीब ८०-८५ साल के एक बुजुर्ग संग्रह और पुस्तकें देखने के बाद उन्होंने इतना आशीष दिया कि क्या बताऊँ, और कहने लगे बेटे तुनें तो कमाल कर दिया,ये सब देख कर ऐसा लगता हैं मैंने अपनी ज़िंदगी में कुछ नहीं किया मैं बोला नहीं ऐसा मत बोलो …. उन्होंने अपने दोनों हाथों से मेरे हाथों को अपने माथे से लगाया,ग़ाज़ियाबाद में भी एक व्यक्ति पुस्तकें देख ने बाद बोले पीयूष अद्भुत हो यार तुम, सच बताऊँ मेरा मन इन पुस्तकों से दूर जाने का नहीं हो रहा हैं और ये सोच रहा हूँ ये सब कैसे संभव हैं, नोएडा में भी एक ७२ वर्षीय व्यक्ति भी प्रथम श्रेणी के कर्मचारी मेरे से बोले पीयूष सच में अद्भुत काम किया हैं और मुझे कही जाना था,लेकिन आपके संग्रह को देख कर जाने का इरादा बदल दिया जाने का मन नहीं हैं सोच रहा हूँ हमनें ऐसा क्यों नहीं सोचा और अपने सभी रिश्तेदारों को फ़ोन करके बुलाया,आओ देखो इस अद्भुत काम को( बाद में मुझे उस सोसाइटी के लोगो ने बताया कि ये व्यक्ति बड़ा ही attitude वाला हैं किसी से सीधे मुँह बात नहीं करता,आज सब एटीट्यूड रफ़ूचक्कर हो गया), बुलंदशहर में भी ७५ साल के बुजुर्ग अपनी डायरी में ऑटोग्राफ़ लेकर ये कह कर चले गये हमनें तो अपनी ज़िंदगी यूँही बेकार गुजार दी,धन्य हैं तू और जिसने तुझे जन्म दिया, बुलंदशहर में ही एक महिला संग्रह देखने के बाद पैर छू कर चली गई, सोनीपत में एक आयोजन हो रहा था दर्पण छवि में भगवद्गीता लिखने के लिये मुझे सम्मानित किया गया और जब वहाँ लोगो को पता चला कि इन्होंने भगवद्गीता को लिखा हैं ….. इतना सम्मान मिला मैं बता नहीं सकता मेरी आँखों में आंसू थे.कभी कभी ईश्वर वो काम करवा देते हैं और आपको पता ही नहीं होता हैं भविष्य में क्या होने वाला हैं, हे ईश्वर ऐसे ही अच्छे-अच्छे काम करवाते रहना जिस से मेरा मेरे परिवार का मेरे समाज का मेरे आस पास के लोगों का और मेरे देश का भला हो.अभी बहुत संस्मरण हैं समय आने पर साझा करूँगा … ईश्वर कृपया बनाये रखना.