*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*सिकंदर,मतलबी,किल्लत,सद्ग्रंथ,राजनीति*
बना *सिकंदर* है वही, जिसने किया प्रयास।
कुआँ किनारे बैठकर, किसकी बुझती प्यास।।
अखबारों में छप रहे, बहुत *मतलबी* लोग।
कर्म साधना में जुटे, पाते मक्खन भोग।।
उत्पादक उपभोक्ता, बीचों बीच दलाल।
*किल्लत* कर बाजार में, कमा रहा हैं माल।।
बहुत पढ़े *सद्ग्रंथ* हैं, पर हैं कोसों दूर।
प्रवचन में ही दीखते, खुद को माने शूर।।
दोंदा बड़ा लबार का, *राजनीति* में योग।
भक्त बने बगुला सभी, लुका-छिपी का भोग।।
मनोजकुमार शुक्ल "मनोज "
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