काश मैं भी कोई पंछी होता ,
उड़ तो पाता अपनी ख्वाहिशे ले कर,
ना कुछ बचाने की जरूरत न खर्चे का डर,
आज के लिए जीता आज के लिए मरता,
कल क्या खाऊंगा ना ये डर सताता ,
ना साथ क्या जायेगा ये डर सताता,
ना बच्चो की फिक्र होती ,
बस साथ देता उनके उड़ने तक,
वो भी अपनी मंजिल पाते ,
मैं भी जीने लायक होता,
ना चिंता होती जीने की ,
न मरने का खौफ होता ,
काश मैं भी कोई पंछी होता
उड़ तो पता अपनी ख्वाहिशे ले कर,,
अन्जू