अब तो गुले गुलशन शादाब कहाँ
आँखें तो खूब हैं आसू-ए-आब कहाँ
दिल से निकलती है सदा, बेकरार कहाँ
हर तरफ है शोर, यकि शरार ए हाब कहाँ
रात भर जागते हैं हम, नींद कब आएगी
इश्क में है सब्र, लेकिन चैन ओ रकाब यहा
खुशियों के रास्ते में है रंज-ओ-गम का दौर
हर खुशी में मिलता है, दर्द ए रूबाब यहॉं
दोस्त भी अब रकीब, दुश्मन हर सफर यहॉं
सफर है जिंदगी का, हमसफर एहले दबाब है
जिंदगी सफर में ख्वाहिशों का जुनून है
मकसद भी है खो गया, मरकज ए दवा है
ख़्वाबों का है समा, हक़ीक़त से दूर हैं
अपने भी ग़ैर लगे, जज़्बात दफा हवा हैं
ज़ुल्म-ओ-सितम का जहाँ, इंसानियत में हैँ
बख़ुदा है हम भी, पर इंसानियत नकाब है
हर तरफ़ है अँधेरा, रोशनी हक सितारों में है
दिल के कोने में है कदर इस और शराब है
उम्मीदों का दीया, बुझे कहं हवा बेरूख में है
ज़िंदगी का सफ़र, मंजे वक्त एहतेसाब है
भावार्थ-संक्षिप्त विवेचनाए
गुलाब और बगीचे, ताज़े और महकते हुए? आँखें आँसुओं से भरी हैं, कहाँ है वो पानी इतना भरपूर?
दिल से लगातार चीख उठती है, पर सुकून कहाँ है? हर जगह शोर है, पर शांति की चिंगारी कहाँ है?
हम रात भर जागते रहते हैं, नींद कब आएगी?प्यार में सब्र है, पर यहाँ आराम या सुकून नहीं है।
खुशी की राह पर गम और दर्द का सिलसिला है,हर खुशी में गम के सुरों की चुभन है।
दोस्त भी अब प्रतिस्पर्धी हैं, और दुश्मन हर सफर में, जीवन की यात्रा साथियों के साथ है, पर हर कदम पर दबाव है।
जीवन की यात्रा इच्छाओं का पागलपन है, लक्ष्य भी खो गया है, उपचार का केंद्र भी खो गया है।
हकीकत से दूर सपनों से भरा माहौल है, अपना भी दूर लगता है, भावनाएँ हवा की तरह बह जाती हैं।
ज़ुल्म और क्रूरता की दुनिया में, इंसानियत है, हम दिव्य हैं हम खुद को नहीं, बल्कि इंसानियत को मुखौटा पहनाते हैं।
हर जगह अंधेरा है, लेकिन रोशनी सितारों में है, दिल के कोने में, धैर्य है, और इस दिशा में शराब है।
उम्मीदों का दीया, हवा रहित हवा में कहाँ बुझ जाएगा? जीवन की यात्रा समय का एक पड़ाव है, एक हिसाब है जिसे चुकाना है।“
© जुगल किशोर शर्मा बीकानेर
आयुर्वेद का पहला नियम भोजन दवा रूपी ही ग्रहण करे । Diabetes Awareness Plan I मल्टीग्रेन अनाज की रोटी I राबड़ी @multigrain_Meal @Healthy_food I //कृपया प्रतिदिन आहार में जौ,ज्वार,मक्का,बाजरा,चना, मूंग और मोठ का ही दलिया व आटे की रोटी, राब-राबड़ी डोहे की राब-राबड़ी का सेवन करे और निरोगी काया रखें ।