अपनी पीठ पीछे होने वाले शिकायतों से अगर आप परेशान हैं, तो एक पल रुक कर सोचिए ज़रा! लोग दो तरह की बातें करते हैं- जरूरत की या मतलब की और तारीफ या शिकायतें। जरूरत या मतलब की बातें तो कोई भी कर लेता है। तारीफ़ ज्यादातर सामने में करते हैं और बुराईयां पीठ पीछे। अब ये बातें तो उन्हीं की हो सकतीं हैं जिनमें कोई बात हो।
-Riya Jaiswal