कुछ लोग अक्सर रो देते हैं,जैसे की मैं
इसलिए नहीं कि मैं कमजोर हूँ !
बल्कि इसलिए कि इस मशीनी युग में
अब भी मेरे भीतर इंसानियत हैं,
मेरी बुद्धि यंत्रवत नहीं, मेरा हृदय
जड़वत नहीं,
मै अब भी महसूस कर पाती हूँ पीड़ा , कुंठा ,पराजय , तिरस्कार और.....प्रेम!!
-RACHNA ROY