’’अदद ए गुलाम’’
कटटर इनामदार, ईमान-ए-परवाज़ यहाँ
नशेमन मासरा, जिंदगी बदनाम यहां

रूबायतों के रंग में, रंगा हुआ है ये जहाँ
हर दिल की आरज़ू,खामोश जंगलात यहाँ

वफ़ा के रास्ते में, मिले ग़म और ख़ुशी
हर पल की दास्ताँ, है दिलए फसादात यहाँ

गमों की कहकशां में, खुशियों की रोशनी
दर्द ए ज़ुबा है, हरेक को सार ए संभाल यहाँ

जहां की गनिमत भी, है मुझे ही फरेब रही
हर एक की निगाह में, है दिल ए मक़ाम यहाँ

जहद ए आग जहॉं, जलते हैं ख्वाब सारी
गफलत की बस्ती में, सुकून दिलजवां यहाँ

ख्वाबों की वादियों में, बसयू ही रहा जी
आरज़ू पहरें में हैं, उम्मीद भर जंजाल यहाँ

क़िस्मत की चालों में,हरेक को तजबीज यहॉं
ये तो सासों में बस रहा, अदद ए गुलाम यहाँ
© जुगल किशोर शर्मा बीकानेर

Hindi Good Evening by JUGAL KISHORE SHARMA : 111932811
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