बचपन की वो यादे हमेशा मंडराती है मेरे आसपास
जैसे में पहुच जाती हूं बचपन मे
मां की ममता पिता का लाड़ प्यार
भाई की मस्ती बहन की अमिवर्षा में
खो जाती हुं बचपन की गलियों में
दोस्त के साथ पढ़ाई संग धींगामस्ती करना
पूरे दिन हँसते रहना
सहेलियों की खिलखिलाट से चहकता महोल्ला मेरा
त्यौहारो की रौनक से भरा उत्साहित माहौल
जैसे खुशियों की सौगात
परिवार की एक जुटता में बहती है प्यार की नदियाँ
याद आए मनमंदिर में बार बार
न कोई चिंता न कोई अनबन बिना परवाह किये हँसते खेलते
जब याद आये तो खो जाए हम
जैसे लौट आया बचपन हमारा
-Shree...Ripal Vyas