विषय - सही क्या,गलत क्या
मन में एक उथल पुथल मची है,
सही गलत को कैसे भांपें।
दिल को सब स्वीकार होता है,
पर दिमाग बोले,पहले गुण अवगुण नापें।।
कुछ पलों के लिए हर इंसान,
बड़ा ही प्यारा लगता है।
शनै शनै फिर वक्त गुजरने पर,
उनका असली व्यक्तित्व दिखता है।।
गुण दोष तो सभी में होते हैं,
पर सही की कैसे पहचान करें।
भावुकता में न बहते हुए,
दिमाग से थोड़ा उसे जान लें।।
अपने अनुभव के आधार पर,
सही गलत का निर्णय लेना।
संदेह को एक किनारे रखकर,
सब कुछ प्रभु के समक्ष छोड़ देना।।
प्रभु ही हमें सद्बुद्धि देकर,
सही गलत का भान कराएंगे।
ईश्वर को जो मंजूर होगा,
उसी राह पर वह ले जायेंगे।।
अपने कर्मों के अनुसार ही,
सबको फल वैसा ही मिलता।
कभी सही तो कभी गलत का,
परिणाम यहीं भुगतना पड़ता।।
सही क्या है, गलत क्या है,
सब इच्छाओं का खेल है।
जीवन की पटरी पर दोनों दौड़े,
बनकर ये तो एक रेल है।।
किरन झा (मिश्री)
-किरन झा मिश्री