मयखाना छोर, पैमाने तुराही़ दे युही ईमान से
मोबत, बेवफाई रहभर शरमायागारी दिजान से
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हथाई नेकी उपवास उपहास बरत चकनाचूर
वाह री सियासत चिख लगी, मचग्यों भरपूर
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षरधा सबूरी सादगी कोट टाई चपल मफलर
बरस ही रहा है कुरूना, सत्ता कुरसी अख्कबर
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रहबर जानिया वाह री दीनदयाल संबपरभु
करपा रोटी दाल चावल बस नहीं हरसबु
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जेब भेड़ के ऊन सी मौका टोक सबोन कतर
कतरनी ए बेदगिरी, हजमाई पगलाहट लचर
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रहभर गुलछर्रा करीया, मुंह मटका चेहरा रंगमंच
रात दिन बस हर रोज भूर नूर षूर यारी संरपंच
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तराजू पलना जंग में, पोपट भरिया दांव
देखत यू सब सुथरे, वाह नित नवा भाव
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ठग लूटेरा हत्याई पिसा, सबको दिजे काव
तराजू तरसी छावको षनि सुने सुजन नांव
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तराजू कांण छंटा बाट देखत सबने हजूर
जहूर जमुरियत नासाज बनी, कुनबारे मंजूर