कल परसो की बात है अन्ना
बस कुछ नहीं मै ही नशे में हूॅं
कुछ भी खराब नहीं मै कुर्सी पे हूॅ
क्या खून क्या पसीना सब काबू
सब कुछ पर सह हसतें हसतें
कुछ भी खराब नहीं मै कुर्सी पे हूॅ
कबीरा कुंआ एक है एक है पानी सबमें एक
भांडे ही में में भेद छः पानी सबमें नेक
राम भजन में आलसी, भोजन भ्रष्ट आगार
जीवन्तों मरयो समान, सत्ता कुनबा व्यापार
कलतलक गालिया रताया खिजखा बौछार
अब करेगें साथ साथ गुलाल का व्यापर
हर बार हमी ठगे जाते है वाह रे दातार
गांरटी छः भ्रान्ती लूटमार अखबार समाचार
हर बार हमी ठगे गये ए ईश्क
कमाल यह कि हमी पता देते है
बदलते मौसमों और झुठे ए वादे
बेजार जिन्दगी आग बता देते है