.. तुम क्या हो..?
व्यक्त में अव्यक्त सी कविता हो,
जिसे लिखने से ज्यादा महसूस करना है।
जैसे चंद्रमा के गुरुत्व बल के अधीन होकर ,
सागर की लहरें अपने आप को अधीर कर लेती है,
ठीक वैसे ही...इन लिखें जाने वाले शब्दों की कारक हो......तुम ।

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