“इजहारे मोहब्बत।”
जिस पर है मेरी नज़र
वह है इन बातों से बेखबर
अज़ान राहों में चलने लगा हुं
मैं उससे प्यार करने लगा
मेरे ख्यालों में आती है
वह रात भर जगातीरहती है वह
मेरी तनहाई में वह शामिल हैं
उसे पाना भी मुश्किल है
कह नहीं पाता हूं उसे इस दिल का दर्द
कह कर देखु क्या उसे दिल का दर्द
शायद उसे मालूम है मैं दिवाना हुं उसका
मुझे कुछ खबर नहीं है उसके दिल का
क्या करूं कुछ समझ नहीं पाता हूं?
रातों को मैं नींदें गंवाता हुं
ख्यालों में मुझसे बातें करती है
पल - पल मेरे दिल को तड़पाती है
क्या कभी मेरे दिल की बात समझ सकेंगी?
क्या कभी वह मेरी हो सकेगी?
हद से गुजर जाने को जी चाहता है
कुछ भी कर जाने को जी करता है
कहीं ये प्यार एक तरफा न हो जाए
कहीं वह किसी और की न हो जाए
मेरे सपनों की अप्सरा है वह
जन्नत की परी बड़ी दिलकश है वह
खफा खफा सी लगती है कभी
मेरे सामने से गुजर जाती है कभी
मैं इजहारे मोहब्बत कर देता हूं
वह मेरे लिए क्या हैं कह देता हूं
मेरी मंजिल मुझे अगर न मिली
मेरी तमन्ना मुझे गर न मिली
रिश्ते सारे मैं तोड़ जाऊंगा
उसके लिए ये
दुनिया छोड़ जाऊंगा।।
इजहारे मोहब्बत।।। रचना राय
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