प्राथमिकता मुराल और ईथिक्स में सिर्फ गांधीवाद का पसमंजर है, अधिक से अधिक उपभोग और होड,बेताहाशा झूठ और प्रोपेगण्डा क्या इन सबमें व्यक्तित्व रह पायेगा । सोच में परिकल्पना पर हमला सर्वत्र है । कमाल है बिल्ला तराजू लिये न्याय की बात करता है ।
Imagine a scenario where maximizing overall well-being necessitates a decision that directly harms a loved one. DTC, in its purest form, would seemingly advocate for this action, prioritizing the greater good over the well-being of a single individual, even if that individual holds immense personal significance.