मैं और मेरे अह्सास
उत्साह का धागा और प्यार की पतंग है l
छोटे बड़े सब को उत्तरायण पसंद है ll
जुनून में आकर छोड़ दिया हवा के साथ l
उत्साही पतंगों का सितारा आज बुलंद है ll
फिजाओं में रंगबिरंगी रंगत देखकर सखी l
छत पर सभी के दिलों में हर्षो उमंग है ll
नूर किलकारी करते बच्चों के चहरे पर है l
क़ायनात में चारो ओर खिली बसंत है ll
बादलो से मुलाकात करने उड़ी है पतंग l
जैसे आसमान से सालों पुराना सबंध है ll
१४-१-२०२४
सखी
दर्शिता बाबूभाई शाह