बैरी पिया के।
बैरी पिया के संग गयी मैं अपने गांव।
गांव में बिता कर आई एक हसीन शाम ।
बड़ा सजीला नवाब बनता है मेरा पिया।
हंस लो बोल लो और गा लो हे मानव।
बैरी पिया के होते हैं बड़े-बड़े नखरे।
कभी छोटी गाड़ी चलाते हैं तो कभी बड़ी
गाड़ी में सवार होकर घूमते हैं।
ना जाने बैरी पिया फिर तो दीवाने बन जाते हैं।
गुलशन के फूलों के मस्ताने बन जाते हैं।
दिल हो जाते हैं शबनमी शबनमी जैसे
मन हो जाते हैं पागल कस्तूरी मृग हिरणी।
सिर्फ नाम दिया गया है बैरी पिया प्यार से।
बैर का एक कांटा तक नहीं चुभे बैरी पिया के।
रहे जीवन में अमन चैन अब बैरी पिया संग।
हर रोज होती रहे सुहानी शाम अपने पिया संग।
रहे ऐसे शहद लेकर आ गये हैं अमृत अनंग।
रहे साथ सदा ही अपने पिया संग ।
ना कभी हुए पिया बैरी मन से यह कहते हैं
जीवन में समाई हुई उल्लास और उमंग।
-Anita Sinha