मुझे आज भी याद है वो सर्दियों की शाम, जब उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरी आँखों में देख कर कहा
"तुम्हारे हाथ बहुत गरम हैं। यह वफ़ा निभाने वालों की निशानी है।"
मैं बहुत ख़ुश था, इतना ख़ुश की यह भी भूल गया की उस शाम उसके हाथ कितने ठंडे थे।...
-SADIKOT MUFADDAL 《Mötäbhäï 》