“आशा “
कदम पर आशा अपना रुप कुरूप दिखलाती है
बड़े काज बनाती है, धीरज के गीत सुनाती है
इसका सुर मिश्री से मीठा, इसकी तार सजीली बाबा
दुःख की नदियाँ जीवन नैया आशा के पतवार लगे
ओ नैया के खेलने वाले
नैया तेरी पार लगे पार बसत है देश सुनहरा
किस्मत छैल छबीली बाबा, दुनिया रंग रंगीली
🙏🏻