फिर तुमको लिखने बैठी हैं..
बिखरे गुलाबों को पिरोके माला बनाने बैठी हैं..!!
अपने अल्फाजों में.. फिर तुम्हें लिखने बैठी हैं..!!
बरसों बाद भुला बिसरा किस्सा याद आ रहा है...
वो मेरा खूबसूरत सा एक हिस्सा याद आ रहा है...
कुछ अनकही सी बातों को शब्दों में उतरने बैठी हूं..
आज फिर अपने अल्फाजों में तुमको लिखने बैठी हूं..!!
अब कोरे कागज मेरी मोहब्बत की गवाही देंगे..
कलम की स्याही मेरी खामोशी को आवाज देंगे...
तनहाई में कुछ पल तुमको महसूस करने बैठी हूं...
आज फिर अपने अल्फाजों में तुमको लिखने बैठी हूं..!!
हाथों में वो एहसास...तुमसे जुडे कुछ जज्बात..
याद आ रही वो पहली मुलाकात की चांदनी रात..
नम आंखों के साथ आज फिर मैं मुस्कुराने बैठी हूं..
आज फिर अपने अल्फाजों में तुमको लिखने बैठी हूं..!!
आज शब्दों के उपहार में प्यार करूंगी बेशुमार..
तुम थोड़ा सा तो करना मेरे अल्फाजों पर ऐतबार..
आज अपने दिल की हर बात तुम्हें लिखने बैठी हूँ..
आज फिर अपने अल्फाजों में तुमको लिखने बैठी हूं..!!
तुम्हें दिल का सुकून..लिखूं या दिल की बेकरारी..
मेरे इश्क का जुनून..लिखूं या मेरे दिल की बीमारी..
दो पल की मुलाकात में आज खुद को डुबोने बैठी हूं..
आज फिर अपने अल्फाजों में तुमको लिखने बैठी हूं..!!