क्यों नहीं बताया तुमने...❤️
क्यों नहीं तुमने बताया तेरी मोहब्बत कोई और है..!!
जिस्म कहीं..अरमान कहीं.. दिल तेरा कहीं और है..!!
तुझे पाने बेतहाशा दौड़ते रही मैं तेरे पीछे-पीछे..
तू अपनी ही धुन में चलता..अखियाँ मीचे-मीचे..
क्यों नहीं तुमने बताया.. तेरी मंजिल कोई और है..
क्यों नहीं तुमने बताया..तेरी मोहब्बत कोई और है..!!
नाराजगी मुझसे दूर..होने का पहला खेल रहा..
तेरे सामने मेरी..मोहब्बत का ना कोई मोल रहा..
क्यों नहीं तुमने बताया हमारे दरमियां कोई और है
क्यों नहीं तुमने बताया...तेरी मोहब्बत कोई और है..!!
न जाने कितनी रातें तकिया भिगो कर सोए हैं..
तुम्हें खबर नहीं हम रातों को चुप-चुप कर रोऐ है..
क्यों नहीं तुमने बताया रातों का चांद कोई और है..
क्यों नहीं तुमने बताया...तेरी मोहब्बत कोई और है..!!
मैं कलम की स्याही से तुम्हारा नाम उतरती रही..
अपनी हर ग़ज़ल..नज़्म..में तुमको पुकारती रही..
क्यों नहीं बताया की तेरे अल्फाजों में कोई और है..
क्यों नहीं तुमने बताया...तेरी मोहब्बत कोई और है..!!
कसूर तुम्हारा कुछ नहीं.. उसकी आँखों का था..
गुनहगार मैं ही थी जो उनकी आँखों में देखा था..
क्यों नहीं बताया तेरे इश्क की सरिता कोई और है..
क्यों नहीं तुमने बताया...तेरी मोहब्बत कोई और है..!!
!!....कंचन सावी....!!