आज कैसी है बेचैनी...कैसा है दीवानापन..!!
तुम धड़कते हो सीने में.. फिर भी है अधूरापन..!!
कुछ कहे कि चुप हो जाए बताओ अब हम..
अब तो डर लगता है तुमको कैसे कहे सनम..
हावी होने लगा मुझ पर..अब तेरा बेगानापन..
तुम धड़कते हो सीने में..फिर भी है अधूरापन..!!
शब्दों से कह कर फिर हम मौन हो जाएंगे..
मेरी ही राहों पर तुमसे अब कौन हो जाएंगे..
अच्छा ना लगे अब मुझे दिल का आवारापन..
तुम धड़कते हो सीने में..फिर भी है अधूरापन..!!
काश कि दिल मेरा पहले ही संभल जाता..
मौसम की रुत सा..दिल मेरा बदला जाता..
मेरी महफिल में मुझे..ही चुभता है सूनापन..
तुम धड़कते हो सीने में..फिर भी है अधूरापन..!!
दिल कभी भी बाजार में नहीं बिका करते..
किताबों से ही हम सब..नहीं सीखा करते..
वक्त भी सिखा देता है दुनिया का दोहरापन..
तुम धड़कते हो सीने में..फिर भी है अधूरापन..!!
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