कहते हैं कोई राज छुपाया है हमने
जब से पीछे एक हाथ छुपाया है हमने
कैसे कह दे सब नाटक और कहानी है
जब वर्षो तक वह बात छुपाया है हमने
जज्बातों का खेल चल रहा था आंगन में
बैठ वही पे जज्बात छुपाया है हमने
उस खत की चर्चा अब तक क्यू होती है क्यू
लोगों से जो उस रात छुपाया है हमने
नाम रखा था जिस मुखड़े का सोच सोच के
उससे ही उसका नाम छुपाया है हमने
-Subhamsaralcp