गली गली आरजू दिख्या ईश्क्या मोहब्बत, कुनबा मालामाल रे
दो जून पर जीवन मरण, लुच्ची वाता ईब, रोजबरोज धमाल रे
दुर्जन जुबानी शाम से, मंडली बैठ दर पट पेग
सबद निरतंर खेल छ, मलाई मस्ती राग रे लपेट
हमकु हरे राम कहुॅं, कहु राधे राधा दिन जपे
रे मुरख मनवा भटक, चोर चांदनी, कुं खपे
झुठ मुठ का दही भल्ला, चांट चादनी चहु रात
पपीहा लुटी महफिला, घोर कलयुगी अब साथ
पुरा कुनबा मुर्ग मुसल्लम, गोकशी हर हाथ में
राजा गददी छीन गया, गलीमोड ई बरकाथ में
सुरा रे धन साल में कुनबा दिया निपटाय
चाट पकोड़ी ले लपेट अकबारी दिगपाल
काजी पाजी राजतिलक, प्रजा सवारी संतोष
बिना बिजली बिल भरे, दुखम तिगना अनुतोश