चाहत की आग में जल रही हूँ मैं
मोबाइल के माध्यम से तुम्हें संपर्क कर रही हूँ मैं
दूर हो बहुत तुम मुझसे पर फिर भी
दिल के करीब मेहसूस कर रही हूँ मैं
जब तक न देखूँ तुझे मोबाइल के माध्यम से
ऐसा लगता है जैसे बिन पानी मछली
जैसी तड़प रही हूँ मैं
घड़ियां मिलन की अब दूर नहीं हैं ए "मीत"
पर फिर भी हरपल
तुमसे मिलने को मचल रहीं हूँ मैं
-Devaki Singh